BLOG ON TRAVEL & ADVOCACY- Untold Stories on Performed India
नवीना जफ़ा

इस सप्ताह की भारत यात्रा की कहानी पानी के एक क़तरे ‘बूँद’ के मूल भाव के बारे में है। ‘काल के गाल पर आंसू की एक बूंद’, कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने ताजमहल के बारे में कहा था। जब हम भारत में विभिन्न स्थानों की यात्रा करते हैं तो हमें पता चलता है कि ‘बूँद’ जैसे साधारण दिखने वाले अनेक प्रतीक हमारी धरोहर को कितना पेचीदा स्वरूप प्रदान कर देते हैं। ये प्रतीक हर धर्म में पाए जाते हैं और अलग-अलग संदर्भों में इनका अर्थ भी बदल जाता है। कलाकार अपनी कल्पना से उस एक प्रतीक में भाव और अर्थों की तमाम परतों से चार चाँद लगा देता है।

प्रकृति के रूप में पानी कलाकारों की कल्पना को आधार देता है और…
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